September 28

पहला पाठ : अय्यूब (योब) का ग्रन्थ 9:1-12,14-16

1) अय्यूब ने अपने मित्रों से कहा:

2) मैं निश्चित रूप से जानता हूँ कि तुम लोगों का कहना सच है। मनुष्य अपने को ईश्वर के सामने निर्दोष प्रमाणित नहीं कर सकता।

3) यदि वह ईश्वर के साथ बहस करना चाहेगा, तो ईश्वर हजार प्रश्नों में एक का भी उत्तर नहीं देगा।

4) ईश्वर सर्वज्ञ और सर्वशक्मिान् है। कौन मनुष्य उसका सामना करने के बाद जीवित रहा?

5) ईश्वर पर्वतों को अचानक हटाता और अपने क्रोध में उलट देता है।

6) वह पृथ्वी को उसके स्थान से खिसकाता और उसके खम्भों को हिला देता है।

7) वह नक्षत्रों को ढाँकता और उसके आदेश पर सूर्य नहीं दिखाई देता।

8) वह अकेला आकाश ही आकाश फैलाता और समुद्र की लहरों पर चलता है।

9) उसने सप्तर्शि, मृग, कृत्तिका और दक्षिण नक्षत्रों की सृष्टि की है।

10) वह महान् एवं रहस्यमय कार्य सम्पन्न करता और असंख्य चमत्कार दिखाता है।

11) वह मेरे पास आता है और मैं उसे नहीं देखता। वह आगे बढ़ता है और मुझे इसका पता नहीं चलता।

12) जब वह कुछ ले जाता है, तो कौन उसे रोकेगा? कौन उस से कहेगा, ’’तू यह क्या कर रहा है?’’

14) मैं उस को कैसे जवाब दे सकता हूँ? मुझे उस से बहस करने को शब्द कहाँ से मिलेंगे?

15) यदि मेरा पक्ष न्यायसंगत है, तो भी मैं क्या कहूँ? मैं केवल दया-याचना ही कर सकता हूँ?

16) यदि वह मेरी दुहाई का उत्तर देता, तो मुझे विश्वास नहीं होता कि वह मेरी प्रार्थना पर ध्यान देता है।

📙 सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 09:57-62

57) ईसा अपने शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे कि रास्ते में ही किसी ने उन से कहा, ’’आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा’’।

58) ईसा ने उसे उत्तर दिया, ’’लोमडि़यों की अपनी माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी अपनी जगह नहीं है’’।

59) उन्होंने किसी दूसरे से कहा, ’’मेरे पीछे चले आओ’’। परन्तु उसने उत्तर दिया, ’’प्रभु! मुझे पहले अपने पिता को दफ़नाने के लिए जाने दीजिए’’।

60) ईसा ने उस से कहा, ’’मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दो। तुम जा कर ईश्वर के राज्य का प्रचार करो।’’

61) फिर कोई दूसरा बोला, ’’प्रभु! मैं आपका अनुसरण करूँगा, परन्तु मुझे अपने घर वालों से विदा लेने दीजिए’’।

62) ईसा ने उस से कहा, ’’हल की मूठ पकड़ने के बाद जो मुड़ कर पीछे देखता है, वह ईश्वर के राज्य के योग्य नहीं’’।